Bahu Ki Pyasi Jawani Ka Jalan Chod Kar Kam Kiya

Hindi Sex Story मेरा नाम कमलनाथ है. आज में आपको अपनी रियल कहानी बता रहा हूँ. ऐसा शायद ही किसी के साथ हुआ होगा, मेरी उम्र 45 साल है, मेरी पत्नी के 2 साल काफी बीमार रहने के बाद उसका देहान्त आज से 1 साल पहले हो गया था. उस समय मेरा लड़का 23 साल का था. अब में सोच रहा था कि मेरे लड़के की शादी कर दूँ, तो घर में बहू घर सम्भालने वाली आ जाये.
लेकिन मेरा लड़का शादी के लिए तैयार ही नहीं हो रहा था. फिर भी किसी तरह उसे राज़ी करके 3 महीने पहले उसकी शादी एक सुन्दर लड़की (मैथिलि) से हो गई. मेरा ऑफिस घर के पास था और में घर पर 8 बजे तक आ जाता था और दिनेश करीब 7 बजे घर आता था.
आज से करीब 3 महीने पहले एक दिन ऑफिस से मेरी 3 बजे छुट्टी हो गई थी. फिर में घर आया और मेरे पास चाबी थी, तो में उससे मैन दरवाजा खोलकर घर में अंदर गया. तो मैंने अन्दर देखा कि मैथिलि पलंग पर पड़ी हुई थी और वो नंगी सो रही थी, उसकी साड़ी और पेटीकोट पलंग पर उसके पास में पड़े हुए थे, उसकी चूत एकदम नंगी दिखाई दे रही थी, उसकी चूत पर इतने बाल थे जैसे उसने कई महिनों से बाल काटे ही नहीं है, उसकी चूत के नीचे एक मोटी लम्बी ककड़ी पलंग पर पड़ी थी, ऐसा लग रहा था कि मैथिलि सोने से पहले ककड़ी को अपनी चूत में डालकर चोद रही होगी.
यह सब देखकर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा, मैथिलि ऐसा क्यों कर रही थी? अब मैथिलि की चूत को देखकर मेरा कई साल से सोया हुआ लंड खड़ा हो गया था, आखिर में भी आदमी हूँ कोई हिज़ड़ा तो नहीं हूँ, लेकिन मेरी मैथिलि को छूने की हिम्मत नहीं हुई थी.
अब में अपने कपड़े बदलकर हॉल में बैठकर अपने खड़े लंड को सहलाने लगा था. फिर थोड़े समय के बाद मैथिलि जागी, उसे उम्मीद नहीं थी कि घर में कोई है. फिर वो वैसे ही नंगी हॉल में आई और मुझे हॉल में देखकर चौंकी और घबरा गई, लेकिन उसकी नजर मेरे लंड पर पड़ गई थी, तो वो भागकर अपने कमरे में गई और कपड़े पहनकर वापस आई. फिर वो बोली कि पापा आज इतनी जल्दी कैसे? आपकी ताबियत तो ठीक है ना? तो मैंने उसे जल्दी आने का कारण बताया. तो तब वो बोली कि चाय बना दूँ. तो में बोला कि नहीं रहने दो, मेरे पास बैठो, तुमसे कुछ बात करनी है.
वो बोली कि क्या बात है? बोलिए. फिर मैंने उससे पूछा कि मैथिलि तुम शादी के बाद खुश तो होना. तो इतना सुनते ही वो उदास हो गई और ऐसा लगा जैसे अभी रो पड़ेगी. तब मुझे लगा कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है. फिर मैंने पूछा कि क्या दिनेश से कोई परेशानी है?
तो तभी मैथिलि बोली कि आज शायद आपने मुझे जिस हाल में देखा इसलिए यह बातें पूछ रहे है. तो तब मैथिलि बोली कि आज आपने पूछ ही लिया है तो आपको सारी बात बता देती हूँ, आपको सुनकर विश्वास नहीं होगा, आपके लड़के को लड़की में कोई रुची ही नहीं है.
तो में कुछ समझा नहीं और बोला कि जरा खुलकर बताओ. फिर वो बोली कि उसको सिर्फ लड़को में ही रुची है, हमारे हनीमून पर हम दोनों अकेले नहीं गए थे, बल्कि अलग से इनके 2 दोस्त भी गए थे, जिसका पता मुझे वहां पहुंचकर लगा था. इनके दोनों दोस्त का कमरा हमारे कमरे के पास ही था. दिनेश सारे दिन उनके साथ उनके कमरे में ही रहता था. फिर तब मैंने पूछा कि में कुछ समझा नहीं, दिनेश ने ऐसा क्यों किया? जरा खुलकर पूरी बात बताओ.
तब वो बोली कि हाँ आज खुलकर सारी बातें बताती हूँ, दिनेश अपने दोस्तों के साथ सेक्स करता है, दिनेश उनका चूसता है और उनके दोस्त दिनेश का चूसते है. फिर मैंने दिनेश से कहा भी कि चलो अपने कमरे में जैसा तुम चाहते हो, वो में करूँगी.
तो तब दिनेश बोला कि मैथिलि बेकार है, तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो और हमारा मज़ा खराब मत करो, मुझे और मेरे दोस्तो को लड़की में कोई रुचि नहीं है और तो और तुम अगर नंगी भी हो जाओगी, तो भी ये मेरे दोस्त भी तुम्हें टच तक नहीं करेंगे.
फिर में उनके सामने नंगी भी हुई, लेकिन उन तीनों को कोई फर्क ही नहीं पड़ा था, वो अपने आप में खेलते रहे, एक दूसरे का चूसना और सेक्स करते रहे. फिर मैंने पूछा कि दिनेश तो मुझसे शादी क्यों की? और अब में अपनी जवानी की आग का क्या करूँ? तो तब वो बोला कि पापा ने परेशान कर रखा था इसलिए शादी की और तुम चाहे जिसके साथ जो चाहो करो मुझे कोई मतलब नहीं है, होटल में ही कोई मिले और नहीं तो चाहे होटल के वेटर के साथ कर लो. फिर उनके एक दोस्त ने मुझे केला दिखाकर कहा कि भाभी इस केले से अपने आप ही कर लो.
अब में बिल्कुल नंगी थी, लेकिन उन तीनों के लिए तो जैसे में वहां थी ही नहीं, अब मेरी इससे ज्यादा बेइज़्जती और क्या हो सकती थी? फिर उस दिन में अपने कमरे में जाकर खूब रोई. अब मेरे दिमाग में कई दिन से अपनी आगे की जिंदगी के लिए कई विचार घूम रहे है, दिनेश से तलाक लेकर दूसरी शादी कर लूँ, लेकिन डरती हूँ कि दूसरा लड़का भी अगर ऐसा ही हुआ तो?
बाहर किसी लड़के को पटा लूँ, लेकिन उसमें बदनामी और ब्लेकमैल का डर है, मेरी खुदकुशी कि हिम्मत नहीं होती और खुदकुशी करना कायरपन है. फिर मज़बूरी में अपने आप नकली चीज़ो के सहारे अपने आपको बहला रही हूँ, लेकिन उससे कब तब अपने आपको बहलाउंगी? क्या शादी का मतलब यही है? अब आप ही बोलो में क्या करूँ?
अब मैथिलि की बातें सुनकर मुझे दिनेश पर बड़ा गुस्सा आ रहा था. फिर मैंने सोचा कि मैथिलि को मुझे ही चोदना चाहिए, नहीं तो घर की इज़्जत बाहर लुटेगी इसलिए मैंने मैथिलि से खुली बातें करना शुरु किया, ताकि अगर उसका मन मेरे साथ चुदवाने का हो तो मुझे भी 3 साल के बाद चूत का सुख मिल जाएगा.
और मैथिलि भी बाहर किसी और से चुदवाने की नहीं सोचेगी. फिर तब में बोला कि नहीं मैथिलि घर की इज़्जत को बाहर मत लुटाओ, मैथिलि अगर तुम्हें सही लगे तो क्या हम एक दूसरे के काम आ सकते है? तो तब मैथिलि बोली कि में कुछ समझी नहीं.
तब में बोला कि मैथिलि देखो जिस चीज के लिए तुम परेशान हो, वही कमी कई बार मुझे भी खलती है, दिनेश की मम्मी के जाने के बाद 3 साल से में भी अकेला रोज रात को अपने हाथ से ही काम चला रहा हूँ, अगर तुम चाहती हो कि घर की इज़्जत बाहर ना लुटे और तुम्हारी जरूरत घर में ही पूरी हो तो हम दोनों एक दूसरे की भूख को मिटा सकते है, अगर तुम्हें एतराज ना हो तो.फिर मैथिलि थोड़ी हिचकिचाई, लेकिन उसने मेरा लंड देख लिया था, तो वो थोड़ी रुककर बोली कि सच्ची अगर आप ऐसा कर सकेंगे तो मुझे बड़ी खुशी होगी कि मुझे जीने का रास्ता मिल गया.
फिर मैंने उसे अपने आलिंगन में भर लिया, तो जैसे ही वो मेरे आलिंगन में आई तो मेरा लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया, जो मैथिलि के बदन को छू रहा था. फिर मैथिलि ने भी सोचा कि बाहर से तो अच्छा है कि में घर में ही चुदवाऊँ, एक बार की शर्म है फिर तो हमेशा का आराम है और अब मैथिलि भी मेरे बदन से लिपटकर रोने लगी थी. फिर मैंने उसके होंठो पर किस किया और अब वो भी मेरे होंठो पर किस करने लगी थी.
तब में बोला कि मैथिलि अब तो एक ही रास्ता है कि हम दोनों ही एक दूसरे कि मदद करें, लेकिन अगर दिनेश को पता चला तो? तो तब मैथिलि बोली कि दिनेश को कुछ फर्क नहीं पड़ेगा, चाहे उसके सामने ही हम कुछ भी करें. अब बस मैंने मैथिलि का मन भी टटोल लिया था कि वो भी लंड की भूखी थी. फिर मैंने उसकी टॉप निकाल दी. अब उसके बड़े-बड़े बूब्स उसकी ब्रा फाड़कर आज़ाद होने के लिए फड़फड़ा रहे थे. फिर मैंने उसकी चूची को उसकी ब्रा के ऊपर से ही जोर से दबाई, तो उसकी सिसकारी निकल गई, जैसे पहली बार उसकी चूची को किसी आदमी ने दबाया हो.
फिर मैंने उसकी ब्रा भी निकाल दी. अब में उसकी चूचीयां देखकर हैरान रह गया था कि मेरे लड़के को इतनी मस्त लड़की मिली, फिर भी चूतिया साला लंडबाज है. अब मैथिलि भी अपने आपे से बाहर हो गई थी और मेरे लंड को मेरी लुंगी के ऊपर से ही पकड़कर दबाने लगी थी. तब मैंने कहा कि मैथिलि मेरी लुंगी निकालकर पकड़ लो, अब क्या शरमाना? चुदाई करनी ही है तो खुलकर करे. तो मैथिलि ने तुरंत मेरी लुंगी निकाल दी और मेरा लंड पकड़कर मसलने लगी थी.
फिर वो बोली कि आपका तो बड़ा कड़क मोटा है, किसी जवान मर्द से कम नहीं है. तो तब में बोला कि मैथिलि 3 साल से इस लंड ने चूत के दर्शन नहीं किए है और इसलिए में अपना लंड पकड़कर हिला रहा था, आज तेरी चूत देखकर यह अपने पूरे रंग में आया है. तब मैथिलि बोली कि हाँ पापा में भी अपनी चूत में ककड़ी, केला डालकर चोदा करती थी कि इस चूत की आग कुछ तो शांत हो, लेकिन फिर सारी रात तड़पती रहती हूँ, आप मेरी आग को शांत कर दो वरना में पागल हो जाऊँगी.
फिर में बोला कि मैथिलि आज के बाद ना तुम और ना में सेक्स के भूखे रहेंगे और फिर मैंने मैथिलि की साड़ी निकाल दी और फिर उसका पेटीकोट भी निकाल दिया. अब मैंने उसको पूरा नंगा कर दिया था और खुद भी नंगा हो गया था, उसकी चूत के बाल काफी बढ़े हुए थे.
अब में उसकी चूत के बाल से अपनी उंगली से खेलने लगा था. फिर मैंने मैथिलि की चूत के दाने को धीरे-धीरे मसला. अब मैथिलि एकदम गर्म हो गई थी, उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी. फिर मैंने नीचे झुककर उसकी चूत पर जोर की पप्पी ली और फिर मैथिलि की चूत पर धीरे-धीरे अपनी जीभ फैरने लगा था.
अब मैथिलि की सिसकारी आह, आहहहहहहह निकल रही थी. अब मैथिलि की सारी शर्म भी ख़त्म हो गई थी. अब वो मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थी. अब में उसकी चूचीयों को कस-कसकर मसल रहा था और वो मेरा लंड चूसती रही. फिर में उसे गोदी में उठाकर कमरे में ले गया और अब मैथिलि मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर मेरे होंठो को चूसने लगी थी और मुझे किस करती रही. फिर में उसे पलंग पर लेटाकर उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठ, गाल, गर्दन पर लगातार किस करने लगा था.
अब मैथिलि कि सिसकारी निकल रही थी. अब वो भी मुझे हर एक जगह प्यार कर रही थी. उसने मेरे लंड को अपने एक हाथ में पकड़ रखा था, जैसे कोई बच्चा डर रहा हो कि उसका खिलोना कोई छीन ना ले. फिर मैंने धीरे-धीरे नीचे आकर उसकी चूचीयाँ अपने मुँह में लेकर चूसनी चालू कर दी.
अब मैथिलि के मुँह से लगातार आह, उऊह की आवाजे निकल रही थी. फिर मैंने उसके पेट पर अपनी जीभ रखी, तो तब वो बोली कि ओह, आप तो बड़े सेक्सी है, आपको वाकई में लड़की को प्यार करना खूब आता है, करो और करो.
फिर मैंने उसकी नाभि पर किस किया और अपनी जीभ से उसकी नाभि को चूसने लगा था. फिर वो बोली कि पापा गुदगुदी हो रही है और मेरी चूत काफी गीली हो गई है. फिर तब में बोला कि मैथिलि चुदाई भी एक कला है, अच्छी तरह से पहले खेलना चाहिए ताकि दोनों लोग खूब गर्म हो जाए.
फिर मैथिलि ने करवट लेकर मुझे नीचे लेटाकर खुद मेरे ऊपर चढ़ गई और अब वो मेरे सारे बदन को चाटने लगी थी और फिर धीरे-धीरे नीचे आते हुए मेरे बदन को चूसती हुई मेरे लंड के पास आई और मेरे लंड को बाहर से चाटने लगी थी.
फिर उसके बाद वो मेरी गोलियों को चाटने लगी. फिर उससे रहा नहीं गया तो उसने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया. अब वो मेरे लंड को चूसने लगी थी और बोली कि पापा एक बार मेरे मुँह में ही अपना रस छोड़ दो और फिर थोड़ी देर के बाद मेरी चूत को चोदना.
तब में बोला कि मैथिलि मेरा रस इतनी जल्दी नहीं निकलने वाला है. फिर तब मैथिलि बोली कि वाह पापा आपमें तो बड़ा दम है. फिर मैथिलि ने मेरा लंड अपनी चूत में डालना चालू किया, लेकिन उसकी बिना चुदी चूत में मेरा मोटा लंड आसानी से घुस ही नहीं रहा था. फिर मैंने मैथिलि को नीचे लेटाया और अब में उसके ऊपर था.
फिर में मैथिलि से बोला कि मेरा लंड अपने मुँह में लेकर गीला कर दे और थोड़ा थूक लगा, ताकि मेरा लंड चिकना हो जाएगा और तेरी चूत में जाने में आसानी रहेगी. फिर मैथिलि ने मेरा लंड अपने मुँह में लेकर काफी गीला कर दिया और थोड़ा थूक भी लगा दिया. फिर मैंने उसकी दोनों टांगे काफी फैला दी और मैथिलि ने अपने दोनों हाथ से अपनी चूत को जितना खुल सकती थी खोल दी.
फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखकर एक झटके से उसकी चूत में घुसेड़ा. तो मेरे लंड का सुपाड़ा जैसे ही मैथिलि की चूत में घुसा तो वो चिल्ला पड़ी आह पापा निकाल लो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन मैंने फिर दूसरी बार जोर से झटका मारकर अपने लंड को उसकी चूत में पूरा घुसेड़ दिया. अब मैथिलि दर्द से चिल्ला रही थी. फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत में पड़ा रहने दिया और मैथिलि को किस करने लगा था और उससे बोला कि अब मैथिलि तुम भी प्यार करो, 5 मिनट में दर्द कम हो जाएगा तो तब धक्के मारूंगा. अब मैथिलि भी मुझे कसकर प्यार करने लगी थी.
फिर थोड़ी देर के बाद मैंने मैथिलि की चूत में धीरे-धीरे धक्के मारने चालू किए. अब मैथिलि को दर्द नहीं हो रहा था तो तब वो बोली कि पापा जोर से धक्के मारो, आज मेरी चूत को फाड़ दो, ये कई महीनों की प्यासी है. फिर 15 मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड का रस निकलने लगा तो तब मैथिलि बोली कि पापा बड़ा मज़ा आ रहा है, अपना सारा रस मेरी चूत में ही डाल दो, गर्म-गर्म रस, आह पापा आपने तो आज मेरी चूत की प्यास बुझा दी, आज से में आपकी बीवी हूँ, अब आप ही रोज मेरी चूत चोदना.
मेरी सुहागरात असल में आज मनी है. फिर तब में बोला कि मैथिलि सच में मुझे भी यही लग रहा है कि आज में तुम्हारे साथ सुहागरात मना रहा हूँ. फिर मैथिलि बोली कि पापा मुझे लग रहा है कि हालात में किसी भी रिश्तों कि चुदाई संभव है, जैसे मज़बूरी ने हम दोनों को चोदने का मौका दिया. अब आप मुझे रोज चोदना, अब में आपका लंड लिए बिना नहीं रह सकती हूँ.
फिर में और मैथिलि नंगे ही पड़े रहे, अब मैथिलि को चोदकर मुझे ऐसा लगा था जैसे यह मेरी नई सुहागरात है. फिर थोड़ी देर के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, लेकिन मैथिलि थोड़ी-थोड़ी सो रही थी. अब में उसकी गोरी-गोरी चूचीयों को अपने हाथ से सहलाने लगा था और फिर उसकी चूचीयों के ऊपर धीरे-धीरे अपनी जीभ फैरने लगा था. उसकी जवान कड़क चूची आह कसम से कोई हिज़ड़ा ही होगा जिसका लंड खड़ा ना हो जाए.
फिर मुझसे रुका नहीं गया तो मैंने उसकी चूचीयों क़ो चूसना चालू किया. फिर मैथिलि भी जाग गई और बोली कि पापा क्या हुआ? आपका लंड तो फिर से मूसल जैसा कड़क हो गया है. फिर तब में बोला कि हाँ मैथिलि आज तुम्हारी और मेरी सुहागरात जो है, तेरी माँ क़ो सुहागरात में 3 बार चोदा था, आज तेरे साथ सुहागरात है तो तुझे भी 2-3 बार चोदूंगा.
फिर तब वो बोली कि सच पापा, फिर तो में आपकी गुलाम हो जाऊँगी. तो में बोला कि अब दूसरी स्टाइल से चोदते है. तो मैथिलि बोली अब में आपके ऊपर चढ़कर चोदूंगी, अब मेरी चूत में आपका लंड आराम से घुसेगा और अब मैथिलि मेरे ऊपर चढ़ गई .
फिर उसने मेरे लंड क़ो चूसकर गीला किया और मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत क़ो सेट किया तो तब मैंने नीचे से एक जोर का धक्का दिया तो मेरा पूरा लंड मैथिलि की चूत में चला गया. फिर मैंने उसकी दोनों चूचीयां अपने दोनों हाथों में पकड़ी और अब मैथिलि धक्के देने लगी थी. अब मैथिलि की सिसकी से ऐसा लग रहा था कि उसे स्वर्ग का आनंद मिल रहा है.
लेकिन मेरा लड़का शादी के लिए तैयार ही नहीं हो रहा था. फिर भी किसी तरह उसे राज़ी करके 3 महीने पहले उसकी शादी एक सुन्दर लड़की (मैथिलि) से हो गई. मेरा ऑफिस घर के पास था और में घर पर 8 बजे तक आ जाता था और दिनेश करीब 7 बजे घर आता था.
आज से करीब 3 महीने पहले एक दिन ऑफिस से मेरी 3 बजे छुट्टी हो गई थी. फिर में घर आया और मेरे पास चाबी थी, तो में उससे मैन दरवाजा खोलकर घर में अंदर गया. तो मैंने अन्दर देखा कि मैथिलि पलंग पर पड़ी हुई थी और वो नंगी सो रही थी, उसकी साड़ी और पेटीकोट पलंग पर उसके पास में पड़े हुए थे, उसकी चूत एकदम नंगी दिखाई दे रही थी, उसकी चूत पर इतने बाल थे जैसे उसने कई महिनों से बाल काटे ही नहीं है, उसकी चूत के नीचे एक मोटी लम्बी ककड़ी पलंग पर पड़ी थी, ऐसा लग रहा था कि मैथिलि सोने से पहले ककड़ी को अपनी चूत में डालकर चोद रही होगी.
यह सब देखकर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा, मैथिलि ऐसा क्यों कर रही थी? अब मैथिलि की चूत को देखकर मेरा कई साल से सोया हुआ लंड खड़ा हो गया था, आखिर में भी आदमी हूँ कोई हिज़ड़ा तो नहीं हूँ, लेकिन मेरी मैथिलि को छूने की हिम्मत नहीं हुई थी.
अब में अपने कपड़े बदलकर हॉल में बैठकर अपने खड़े लंड को सहलाने लगा था. फिर थोड़े समय के बाद मैथिलि जागी, उसे उम्मीद नहीं थी कि घर में कोई है. फिर वो वैसे ही नंगी हॉल में आई और मुझे हॉल में देखकर चौंकी और घबरा गई, लेकिन उसकी नजर मेरे लंड पर पड़ गई थी, तो वो भागकर अपने कमरे में गई और कपड़े पहनकर वापस आई. फिर वो बोली कि पापा आज इतनी जल्दी कैसे? आपकी ताबियत तो ठीक है ना? तो मैंने उसे जल्दी आने का कारण बताया. तो तब वो बोली कि चाय बना दूँ. तो में बोला कि नहीं रहने दो, मेरे पास बैठो, तुमसे कुछ बात करनी है.
वो बोली कि क्या बात है? बोलिए. फिर मैंने उससे पूछा कि मैथिलि तुम शादी के बाद खुश तो होना. तो इतना सुनते ही वो उदास हो गई और ऐसा लगा जैसे अभी रो पड़ेगी. तब मुझे लगा कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है. फिर मैंने पूछा कि क्या दिनेश से कोई परेशानी है?
तो तभी मैथिलि बोली कि आज शायद आपने मुझे जिस हाल में देखा इसलिए यह बातें पूछ रहे है. तो तब मैथिलि बोली कि आज आपने पूछ ही लिया है तो आपको सारी बात बता देती हूँ, आपको सुनकर विश्वास नहीं होगा, आपके लड़के को लड़की में कोई रुची ही नहीं है.
तो में कुछ समझा नहीं और बोला कि जरा खुलकर बताओ. फिर वो बोली कि उसको सिर्फ लड़को में ही रुची है, हमारे हनीमून पर हम दोनों अकेले नहीं गए थे, बल्कि अलग से इनके 2 दोस्त भी गए थे, जिसका पता मुझे वहां पहुंचकर लगा था. इनके दोनों दोस्त का कमरा हमारे कमरे के पास ही था. दिनेश सारे दिन उनके साथ उनके कमरे में ही रहता था. फिर तब मैंने पूछा कि में कुछ समझा नहीं, दिनेश ने ऐसा क्यों किया? जरा खुलकर पूरी बात बताओ.
तब वो बोली कि हाँ आज खुलकर सारी बातें बताती हूँ, दिनेश अपने दोस्तों के साथ सेक्स करता है, दिनेश उनका चूसता है और उनके दोस्त दिनेश का चूसते है. फिर मैंने दिनेश से कहा भी कि चलो अपने कमरे में जैसा तुम चाहते हो, वो में करूँगी.
तो तब दिनेश बोला कि मैथिलि बेकार है, तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो और हमारा मज़ा खराब मत करो, मुझे और मेरे दोस्तो को लड़की में कोई रुचि नहीं है और तो और तुम अगर नंगी भी हो जाओगी, तो भी ये मेरे दोस्त भी तुम्हें टच तक नहीं करेंगे.
फिर में उनके सामने नंगी भी हुई, लेकिन उन तीनों को कोई फर्क ही नहीं पड़ा था, वो अपने आप में खेलते रहे, एक दूसरे का चूसना और सेक्स करते रहे. फिर मैंने पूछा कि दिनेश तो मुझसे शादी क्यों की? और अब में अपनी जवानी की आग का क्या करूँ? तो तब वो बोला कि पापा ने परेशान कर रखा था इसलिए शादी की और तुम चाहे जिसके साथ जो चाहो करो मुझे कोई मतलब नहीं है, होटल में ही कोई मिले और नहीं तो चाहे होटल के वेटर के साथ कर लो. फिर उनके एक दोस्त ने मुझे केला दिखाकर कहा कि भाभी इस केले से अपने आप ही कर लो.
अब में बिल्कुल नंगी थी, लेकिन उन तीनों के लिए तो जैसे में वहां थी ही नहीं, अब मेरी इससे ज्यादा बेइज़्जती और क्या हो सकती थी? फिर उस दिन में अपने कमरे में जाकर खूब रोई. अब मेरे दिमाग में कई दिन से अपनी आगे की जिंदगी के लिए कई विचार घूम रहे है, दिनेश से तलाक लेकर दूसरी शादी कर लूँ, लेकिन डरती हूँ कि दूसरा लड़का भी अगर ऐसा ही हुआ तो?
बाहर किसी लड़के को पटा लूँ, लेकिन उसमें बदनामी और ब्लेकमैल का डर है, मेरी खुदकुशी कि हिम्मत नहीं होती और खुदकुशी करना कायरपन है. फिर मज़बूरी में अपने आप नकली चीज़ो के सहारे अपने आपको बहला रही हूँ, लेकिन उससे कब तब अपने आपको बहलाउंगी? क्या शादी का मतलब यही है? अब आप ही बोलो में क्या करूँ?
अब मैथिलि की बातें सुनकर मुझे दिनेश पर बड़ा गुस्सा आ रहा था. फिर मैंने सोचा कि मैथिलि को मुझे ही चोदना चाहिए, नहीं तो घर की इज़्जत बाहर लुटेगी इसलिए मैंने मैथिलि से खुली बातें करना शुरु किया, ताकि अगर उसका मन मेरे साथ चुदवाने का हो तो मुझे भी 3 साल के बाद चूत का सुख मिल जाएगा.
और मैथिलि भी बाहर किसी और से चुदवाने की नहीं सोचेगी. फिर तब में बोला कि नहीं मैथिलि घर की इज़्जत को बाहर मत लुटाओ, मैथिलि अगर तुम्हें सही लगे तो क्या हम एक दूसरे के काम आ सकते है? तो तब मैथिलि बोली कि में कुछ समझी नहीं.
तब में बोला कि मैथिलि देखो जिस चीज के लिए तुम परेशान हो, वही कमी कई बार मुझे भी खलती है, दिनेश की मम्मी के जाने के बाद 3 साल से में भी अकेला रोज रात को अपने हाथ से ही काम चला रहा हूँ, अगर तुम चाहती हो कि घर की इज़्जत बाहर ना लुटे और तुम्हारी जरूरत घर में ही पूरी हो तो हम दोनों एक दूसरे की भूख को मिटा सकते है, अगर तुम्हें एतराज ना हो तो.फिर मैथिलि थोड़ी हिचकिचाई, लेकिन उसने मेरा लंड देख लिया था, तो वो थोड़ी रुककर बोली कि सच्ची अगर आप ऐसा कर सकेंगे तो मुझे बड़ी खुशी होगी कि मुझे जीने का रास्ता मिल गया.
फिर मैंने उसे अपने आलिंगन में भर लिया, तो जैसे ही वो मेरे आलिंगन में आई तो मेरा लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया, जो मैथिलि के बदन को छू रहा था. फिर मैथिलि ने भी सोचा कि बाहर से तो अच्छा है कि में घर में ही चुदवाऊँ, एक बार की शर्म है फिर तो हमेशा का आराम है और अब मैथिलि भी मेरे बदन से लिपटकर रोने लगी थी. फिर मैंने उसके होंठो पर किस किया और अब वो भी मेरे होंठो पर किस करने लगी थी.
तब में बोला कि मैथिलि अब तो एक ही रास्ता है कि हम दोनों ही एक दूसरे कि मदद करें, लेकिन अगर दिनेश को पता चला तो? तो तब मैथिलि बोली कि दिनेश को कुछ फर्क नहीं पड़ेगा, चाहे उसके सामने ही हम कुछ भी करें. अब बस मैंने मैथिलि का मन भी टटोल लिया था कि वो भी लंड की भूखी थी. फिर मैंने उसकी टॉप निकाल दी. अब उसके बड़े-बड़े बूब्स उसकी ब्रा फाड़कर आज़ाद होने के लिए फड़फड़ा रहे थे. फिर मैंने उसकी चूची को उसकी ब्रा के ऊपर से ही जोर से दबाई, तो उसकी सिसकारी निकल गई, जैसे पहली बार उसकी चूची को किसी आदमी ने दबाया हो.
फिर मैंने उसकी ब्रा भी निकाल दी. अब में उसकी चूचीयां देखकर हैरान रह गया था कि मेरे लड़के को इतनी मस्त लड़की मिली, फिर भी चूतिया साला लंडबाज है. अब मैथिलि भी अपने आपे से बाहर हो गई थी और मेरे लंड को मेरी लुंगी के ऊपर से ही पकड़कर दबाने लगी थी. तब मैंने कहा कि मैथिलि मेरी लुंगी निकालकर पकड़ लो, अब क्या शरमाना? चुदाई करनी ही है तो खुलकर करे. तो मैथिलि ने तुरंत मेरी लुंगी निकाल दी और मेरा लंड पकड़कर मसलने लगी थी.
फिर वो बोली कि आपका तो बड़ा कड़क मोटा है, किसी जवान मर्द से कम नहीं है. तो तब में बोला कि मैथिलि 3 साल से इस लंड ने चूत के दर्शन नहीं किए है और इसलिए में अपना लंड पकड़कर हिला रहा था, आज तेरी चूत देखकर यह अपने पूरे रंग में आया है. तब मैथिलि बोली कि हाँ पापा में भी अपनी चूत में ककड़ी, केला डालकर चोदा करती थी कि इस चूत की आग कुछ तो शांत हो, लेकिन फिर सारी रात तड़पती रहती हूँ, आप मेरी आग को शांत कर दो वरना में पागल हो जाऊँगी.
फिर में बोला कि मैथिलि आज के बाद ना तुम और ना में सेक्स के भूखे रहेंगे और फिर मैंने मैथिलि की साड़ी निकाल दी और फिर उसका पेटीकोट भी निकाल दिया. अब मैंने उसको पूरा नंगा कर दिया था और खुद भी नंगा हो गया था, उसकी चूत के बाल काफी बढ़े हुए थे.
अब में उसकी चूत के बाल से अपनी उंगली से खेलने लगा था. फिर मैंने मैथिलि की चूत के दाने को धीरे-धीरे मसला. अब मैथिलि एकदम गर्म हो गई थी, उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी. फिर मैंने नीचे झुककर उसकी चूत पर जोर की पप्पी ली और फिर मैथिलि की चूत पर धीरे-धीरे अपनी जीभ फैरने लगा था.
अब मैथिलि की सिसकारी आह, आहहहहहहह निकल रही थी. अब मैथिलि की सारी शर्म भी ख़त्म हो गई थी. अब वो मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थी. अब में उसकी चूचीयों को कस-कसकर मसल रहा था और वो मेरा लंड चूसती रही. फिर में उसे गोदी में उठाकर कमरे में ले गया और अब मैथिलि मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर मेरे होंठो को चूसने लगी थी और मुझे किस करती रही. फिर में उसे पलंग पर लेटाकर उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठ, गाल, गर्दन पर लगातार किस करने लगा था.
अब मैथिलि कि सिसकारी निकल रही थी. अब वो भी मुझे हर एक जगह प्यार कर रही थी. उसने मेरे लंड को अपने एक हाथ में पकड़ रखा था, जैसे कोई बच्चा डर रहा हो कि उसका खिलोना कोई छीन ना ले. फिर मैंने धीरे-धीरे नीचे आकर उसकी चूचीयाँ अपने मुँह में लेकर चूसनी चालू कर दी.
अब मैथिलि के मुँह से लगातार आह, उऊह की आवाजे निकल रही थी. फिर मैंने उसके पेट पर अपनी जीभ रखी, तो तब वो बोली कि ओह, आप तो बड़े सेक्सी है, आपको वाकई में लड़की को प्यार करना खूब आता है, करो और करो.
फिर मैंने उसकी नाभि पर किस किया और अपनी जीभ से उसकी नाभि को चूसने लगा था. फिर वो बोली कि पापा गुदगुदी हो रही है और मेरी चूत काफी गीली हो गई है. फिर तब में बोला कि मैथिलि चुदाई भी एक कला है, अच्छी तरह से पहले खेलना चाहिए ताकि दोनों लोग खूब गर्म हो जाए.
फिर मैथिलि ने करवट लेकर मुझे नीचे लेटाकर खुद मेरे ऊपर चढ़ गई और अब वो मेरे सारे बदन को चाटने लगी थी और फिर धीरे-धीरे नीचे आते हुए मेरे बदन को चूसती हुई मेरे लंड के पास आई और मेरे लंड को बाहर से चाटने लगी थी.
फिर उसके बाद वो मेरी गोलियों को चाटने लगी. फिर उससे रहा नहीं गया तो उसने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया. अब वो मेरे लंड को चूसने लगी थी और बोली कि पापा एक बार मेरे मुँह में ही अपना रस छोड़ दो और फिर थोड़ी देर के बाद मेरी चूत को चोदना.
तब में बोला कि मैथिलि मेरा रस इतनी जल्दी नहीं निकलने वाला है. फिर तब मैथिलि बोली कि वाह पापा आपमें तो बड़ा दम है. फिर मैथिलि ने मेरा लंड अपनी चूत में डालना चालू किया, लेकिन उसकी बिना चुदी चूत में मेरा मोटा लंड आसानी से घुस ही नहीं रहा था. फिर मैंने मैथिलि को नीचे लेटाया और अब में उसके ऊपर था.
फिर में मैथिलि से बोला कि मेरा लंड अपने मुँह में लेकर गीला कर दे और थोड़ा थूक लगा, ताकि मेरा लंड चिकना हो जाएगा और तेरी चूत में जाने में आसानी रहेगी. फिर मैथिलि ने मेरा लंड अपने मुँह में लेकर काफी गीला कर दिया और थोड़ा थूक भी लगा दिया. फिर मैंने उसकी दोनों टांगे काफी फैला दी और मैथिलि ने अपने दोनों हाथ से अपनी चूत को जितना खुल सकती थी खोल दी.
फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखकर एक झटके से उसकी चूत में घुसेड़ा. तो मेरे लंड का सुपाड़ा जैसे ही मैथिलि की चूत में घुसा तो वो चिल्ला पड़ी आह पापा निकाल लो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन मैंने फिर दूसरी बार जोर से झटका मारकर अपने लंड को उसकी चूत में पूरा घुसेड़ दिया. अब मैथिलि दर्द से चिल्ला रही थी. फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत में पड़ा रहने दिया और मैथिलि को किस करने लगा था और उससे बोला कि अब मैथिलि तुम भी प्यार करो, 5 मिनट में दर्द कम हो जाएगा तो तब धक्के मारूंगा. अब मैथिलि भी मुझे कसकर प्यार करने लगी थी.
फिर थोड़ी देर के बाद मैंने मैथिलि की चूत में धीरे-धीरे धक्के मारने चालू किए. अब मैथिलि को दर्द नहीं हो रहा था तो तब वो बोली कि पापा जोर से धक्के मारो, आज मेरी चूत को फाड़ दो, ये कई महीनों की प्यासी है. फिर 15 मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड का रस निकलने लगा तो तब मैथिलि बोली कि पापा बड़ा मज़ा आ रहा है, अपना सारा रस मेरी चूत में ही डाल दो, गर्म-गर्म रस, आह पापा आपने तो आज मेरी चूत की प्यास बुझा दी, आज से में आपकी बीवी हूँ, अब आप ही रोज मेरी चूत चोदना.
मेरी सुहागरात असल में आज मनी है. फिर तब में बोला कि मैथिलि सच में मुझे भी यही लग रहा है कि आज में तुम्हारे साथ सुहागरात मना रहा हूँ. फिर मैथिलि बोली कि पापा मुझे लग रहा है कि हालात में किसी भी रिश्तों कि चुदाई संभव है, जैसे मज़बूरी ने हम दोनों को चोदने का मौका दिया. अब आप मुझे रोज चोदना, अब में आपका लंड लिए बिना नहीं रह सकती हूँ.
फिर में और मैथिलि नंगे ही पड़े रहे, अब मैथिलि को चोदकर मुझे ऐसा लगा था जैसे यह मेरी नई सुहागरात है. फिर थोड़ी देर के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, लेकिन मैथिलि थोड़ी-थोड़ी सो रही थी. अब में उसकी गोरी-गोरी चूचीयों को अपने हाथ से सहलाने लगा था और फिर उसकी चूचीयों के ऊपर धीरे-धीरे अपनी जीभ फैरने लगा था. उसकी जवान कड़क चूची आह कसम से कोई हिज़ड़ा ही होगा जिसका लंड खड़ा ना हो जाए.
फिर मुझसे रुका नहीं गया तो मैंने उसकी चूचीयों क़ो चूसना चालू किया. फिर मैथिलि भी जाग गई और बोली कि पापा क्या हुआ? आपका लंड तो फिर से मूसल जैसा कड़क हो गया है. फिर तब में बोला कि हाँ मैथिलि आज तुम्हारी और मेरी सुहागरात जो है, तेरी माँ क़ो सुहागरात में 3 बार चोदा था, आज तेरे साथ सुहागरात है तो तुझे भी 2-3 बार चोदूंगा.
फिर तब वो बोली कि सच पापा, फिर तो में आपकी गुलाम हो जाऊँगी. तो में बोला कि अब दूसरी स्टाइल से चोदते है. तो मैथिलि बोली अब में आपके ऊपर चढ़कर चोदूंगी, अब मेरी चूत में आपका लंड आराम से घुसेगा और अब मैथिलि मेरे ऊपर चढ़ गई .
फिर उसने मेरे लंड क़ो चूसकर गीला किया और मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत क़ो सेट किया तो तब मैंने नीचे से एक जोर का धक्का दिया तो मेरा पूरा लंड मैथिलि की चूत में चला गया. फिर मैंने उसकी दोनों चूचीयां अपने दोनों हाथों में पकड़ी और अब मैथिलि धक्के देने लगी थी. अब मैथिलि की सिसकी से ऐसा लग रहा था कि उसे स्वर्ग का आनंद मिल रहा है.